चिट्टू का चिड़ियाघर का सफ़र
एक दिन चिट्टू ने सोचा, "क्यों ना आज चिड़ियाघर जाकर देखूं, कैसा है वहां का माहौल।" उसने अपने दोस्तों को बुलाया और सब मिलकर चिड़ियाघर की ओर बढ़े।
चिड़ियाघर पहुंचकर वहां चिट्टू ने बहुत सी अजीब-अजीब चीजें देखीं। कोई सुंदर रंगीन पंछी, कोई रहस्यमयी साँप, और कुछ खास किस्म के खरगोश - चिट्टू बस देखता रह गया।
एक समय वह फिसलपट्टी पर खड़ा हो गया और एक नया खेल खेलने का इरादा किया। उसने अपने दोस्तों को बुलाया और सब मिलकर मस्ती की। फिसलपट्टी से गिरने वाले हंसी और रोमांच के लम्हों ने उनकी यात्रा को और भी रोचक बना दिया।
चिट्टू ने चिड़ियाघर में बहुत सारे गेम्स भी खेले। उसने देखा कैसे शिकारी खरगोश खुद को छुपा कर भागते हैं, और वह बहुत ही रोचक तरीके से बचते हैं।
चिट्टू ने अपनी यात्रा का समापन किया, परंतु उसकी आँखों में वह चिड़ियाघर के दृश्य बस गए थे। उसने महसूस किया कि वह न केवल अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता है, बल्कि चिड़ियाघर की दुनिया ने उसके मन को नए और रोचक विचारों से भर दिया है।
इस यात्रा ने चिट्टू को नए दृष्टिकोण प्रदान किए और उसकी मस्ती ने उसे यह सिखाया कि छोटी-छोटी खुशियाँ हमारे जीवन को बहुत ही खास बना देती हैं।
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